स्मृतियों के कारण व्यक्ति को बीमारियों का सामना करना पड़ता
हरिद्वार स्थित श्री करौली शंकर महादेव धाम करौली शंकर महादेव धाम में होने वाले त्रिदिवसीय सम्मेलन एवं दीक्षा कार्यक्रम 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में शिवतंत्र स्मृति मधविज्ञान के प्रणेता गुरुदेव श्री करौली शंकर महादेव तंत्र के विभिन्न स्तर के साधकों को आगे बढ़ाकर उन्हें तंत्र साधना के अगले चरण में प्रविष्ट कराएंगे पत्रकार को जानकारी देते हुए करौली शंकर महादेव ने संबोधित करते हुए बताया कि कैसे स्मृतियों के कारण किसी व्यक्ति को बीमारियों का सामना करना पड़ता है। और जीवन में कष्ट होने लगते हैं।
वार्ता में मौजूद पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए करौली शंकर महादेव ने कहा कि किसी के रोग कष्ट पहली बार क्यों होते है। इस बात पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। जबकि बीमारियों और कष्टों की पहली कड़ी यहीं से शुरू होती है। सूक्ष्म जीवन में पितरों की स्मृतियों से पीड़ित व्यक्ति कभी स्वस्थ नहीं हो सकता इसी प्रकार जब किसी के सूक्ष्म की स्मृतियों को डीएनए से पृथक कर दिया जाता है। तब बीमारी और कष्ट स्वतः ही नष्ट हो जाते है। करौली शंकर महादेव ने बातचीत के दौरान कोरोना के समय का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय प्रकृति कितनी शुद्ध प्रतीत होती थी जब मानव प्रकृति को दूषित नहीं कर रहे थे।
करौली शंकर महादेव ने कहा कि प्रकृति का कण कण हमसे जुड़ा हुआ है और हम प्रकृति के कण कण से जुड़े हुए हैं । धर्म की व्याख्या करते हुए करौली शंकर महादेव ने कहा कि प्रकृति ही धर्म है। आगे धर्म अर्थात् मानव धर्म को परिभाषित करते हुए कहा कि अस्तित्व ने जिन तत्वों को धारण कर रखा है। वही धर्म है और सबके लिए एक समान है। विभिन्न मत- मतांतर, सम्प्रदाय के लोगों को एक समान रूप से उपलब्ध है। यही सनातन है और सबका है। जिसकी हम सबको मिल कर रक्षा करनी चाहिए। आज मानवता कराह रही है। रोगी हो चुकी है। क्योंकि मानव के स्वयं अपने हाथों से अपने वास्तविक धर्म का सत्यानाश कर दिया।
आधुनिक भौतिक उपलब्धि को ही वो सर्वस्थ मान बैठा और भौतिक के पीछे सूक्ष्म और कारण को भूल गया। उन्होने कहा कि जबतक स्मृतियों का रुपान्तरण नहीं रोका तब तक वे सूक्ष्म और कारण से रोज सामूल नष्ट नहीं होगे और बार-बार इसके शिकार होगे। दरबार प्रति दिन सैकड़ों रोगीयों के स्मृतियों को नष्ट कर देता है। जिससे व्यक्ति स्वस्थ हो साधना में प्रवेश करता या अपने सांसारिक जीवन में सफल होें अपना कार्य संपादित करता है।
करौली शंकर महादेव के उद्देश्य रोग मुक्त नशा मुक्त और शोक मुक्त भारत होने हो। हालांकि दरबार का ये संकल्प विश्व स्तर पर कार्य कर रहा है और सभी के कष्टों को दूर कर रहा है। आपको बता दें कि करौली शंकर महादेव धाम में त्रिदिवसीय सम्मेलन में भारत के कई राज्यों सहित विदेशों से भी भक्तों की बड़ी संख्या में जमावड़ा लग रहा है।