अक्षय तृतीया वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन त्रेता युग का आरंभ और भगवान परशुराम जी का अवतार भी हुआ था।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत की जा सकती है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन जरूरतमंद व्यक्तियों को दान करने से जीवन में सुख संपन्नता समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार इस दिन दान पुण्य पूजा व मंगल कार्यों को करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। ग्रहों के सुखद सहयोग और विशेष योगों ने इस बार की अक्षय तृतीया को और भी विशेष शुभ फल प्रदान करने वाली बना दिया है।
इस दिन जहां ग्रहों के राजा सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में विराजमान होंगे वहीं चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि वृषभ में स्थित रहेंगे। सुख संपन्नता के कारक ग्रह शुक्र भी अपनी उच्च राशि मीन में इस दिन विराजमान रहेंगे। इसके अलावा भी इस दिन देवगुरु बृहस्पति भी अपने मित्र चंद्रमा के साथ स्थित रहकर गज केसरी योग का निर्माण भी कर रहे हैं। इसके अलावा इस दिन लक्ष्मी नारायण राजयोग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अक्षय योग का निर्माण भी इस दिन देखने को मिलेगा।
इस दिन आप विवाह रिश्ता पक्का करना, वाग्दान संस्कार, व्यापार आरंभ करना, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, जॉब ज्वाइन करना आदि शुभ कार्य बिना मुहूर्त निकलवाए भी आरंभ कर सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है। अक्षय तृतीया के दिन जरूरतमंद व्यक्तियों को यथाशक्ति कॉपी, किताब, स्टेशनरी, खाने-पीने की वस्तुएं, वस्त्र, जल आदि का दान करना चाहिए। पितृ शांति के लिए इस दिन ब्राह्मण भोज कराना भी अच्छा माना जाता है। किसी भी धर्म स्थान में इस दिन चंदन की लकड़ी का दान भी बहुत ही शुभ फल देने वाला रहता है।