एआई तकनीक से हाथियों की जान होगी सुरक्षित

अब हाथियों की जान बचाएगी एआई टेक्नोलॉजी — रेलवे ट्रैक के पास आते ही बजेगा हूटर, इंजन में मिलेगा अलर्ट

हल्द्वानी। जंगलों से होकर गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर अब हाथियों की जान जोखिम में नहीं पड़ेगी। जैसे ही हाथी ट्रैक के करीब आएगा, गेटमैन केबिन में हूटर बज उठेगा और ट्रेन के इंजन में लोको पायलट को अलर्ट संदेश मिलेगा। इसके बाद ट्रेन की गति तुरंत घटा दी जाएगी ताकि हादसे टाले जा सकें।

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने इसके लिए एआई-आधारित ‘एलीफेंट इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम’ लगाने की पहल की है। शुरुआत में यह सिस्टम इज्जतनगर मंडल के तीन प्रमुख हाथी-प्रवासन क्षेत्रों — हल्द्वानी, पंतनगर और लालकुआं के बीच 24.1 किलोमीटर रेल मार्ग पर लगाया जा रहा है।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट पर करीब 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे। स्थापना का कार्य तेजी से जारी है और जल्द ही सिस्टम का ट्रायल रन शुरू किया जाएगा।

कैसे काम करता है यह सिस्टम

‘एलीफेंट इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम’ प्रेशर-वेव तकनीक पर आधारित है। यह जमीन पर होने वाले सूक्ष्म कंपन यानी हाथियों के पैरों की थरथराहट को महसूस कर लेता है। इसके बाद ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिए यह सिग्नल नजदीकी स्टेशन मास्टर, गेट केबिन और सेंट्रल ट्रेन कंट्रोल रूम को भेजता है।

एक किलोमीटर पहले ही मिलेगा अलर्ट

इस तकनीक की खासियत यह है कि ट्रेन चालक को एक किलोमीटर पहले ही चेतावनी मिल जाएगी। इससे लोको पायलट को ट्रेन की गति कम करने और आवश्यक कदम उठाने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

रेलवे का यह कदम न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल मानी जा रही है, बल्कि यह भारत के रेलवे नेटवर्क में एआई तकनीक के प्रभावी उपयोग का भी उदाहरण बनेगा।

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