पेट के कीड़ों का करें उपचार, अपनाएं ये उपाय

आमाशय और आंतों के कई दोषों में कृमियों का योगदान होता है। ये कृमि आंत में विभिन्न दोषांे के बिगड़ जाने के कारण उत्पन्न हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त देर से हजम होने वाली चीजें, आदि खाने से भी पेट में कीडे़ पड़ जाते हैं। बच्चों की गुदा को ठीक से साफ न करने के कारण सफेद रंग के चुन्ने पड़ जाते हैं। फीते की तरह के कीड़े बड़ों को अधिक होते हैं तथा
गोल कीड़े केंचुए कहलाते हैं।

रोग की पहचानः-
1-मलद्वार तथा नाक में खुजली होती है, जी मिचलाता है, पेट में मीठा-मीठा दर्द होता है।

2-भुख बहुत कम लगती है, शरीर में कमजोरी आ जाती है, कुछ भी खाया-पिया शरीर में नही लगता।

3-पेट में कब्ज, पतले-सफेद दस्त, नींद में पेशाब निकल जाना और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आदि लक्षण नजर आते हैं।

4-कृमि रोग अत्याधिक बढ़ जाता है तो व्यक्ति का कोई विशेष अंग कांपने लगता है या दौरे पड़ने लगते हैं।

5-बच्चों की गुदा में चुन्ने होने पर खुजली होती है। बच्चा दांत किटकिटता है, नाक खुजलाता है या नोचता है और हर पल बेचैन रहता है।

6-अगर पेट में केंचुए होते हैं तो पेट का फूलना, पित्ती उछलना, आमाशय में दर्द, दांत पीसना, पेट में दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे पड़ना, सांस लेने में परेशानी, दस्त आदि लक्षण प्रकट हो जाते हैं। कृमियों का प्रभाव अत्यधिक प्रबल हो जाने पर यकृत का फोड़ा, पीलिया तथा आमाशय की सूजन आदि खतरनाक बीमारियां भी हो सकती है।

प्राकृतिक उपचार

1ः- प्राकृतिक चिकित्सा में पेट के कृमियों से निजात पाने के लिए रोगी को एनिमा दिया जाता है। एनिमा लेने से पेट के कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

2ः- गुदा के अंदर अमृत धारा युक्त पानी पिचकारी से छोड़ा जाता है। पेट पर हल्के गर्म पानी की धार 10 मिनट तक डाली जाती है।

3ः- इन उपरोक्त उपायों से आंत कृमि मल साथ बाहर निकल जाते है और रोगी पूर्णतरू स्वस्थ हो जाता है।

भोजन से उपचार

नारियल का पानी दिन भर में चार बार पीने से आंतकृमि में लाभ होता है, लेकिन यह प्रयोग एक दिन करने से कोई खास लाभ नहीं होता है। अतः कुछ दिन तक लगातार इसका सेवन करने पर ही लाभ होता है। तीखे, कसैले तथा कड़वे पदार्थ बार-बार खाने से विशेष लाभ होता है। पुदीना, अदरक, जीरा तथा काला नमक की चटनी भोजन के साथ खाने से आंत कृमि नष्ट होते हैं। पका अमरूद, पपीता, पपीते के बीज पीसकर, चीकू, आलू बुखारा, खूबानी, केला आदि आंत कृमि की शिकायत वाले बच्चों को खाने को दें। अखरोट, बादाम, चिलगोजे और पका नारियल का सेवन करने से कृमि रोग में काफी लाभ होता है।

लहसुन को पीसकर पानी में डालकर काढ़ा बनाएं और इसका कुछ दिन तक सेवन करें, इससे कृमि नष्ट होते हैं।

घरेलु उपचार

पहला तरीकाः- अजवायन का सेवन कृमि रोग में अत्यंत ही लाभदायक होता है। अजवायन का चूर्ण आधा ग्राम लेकर समभाग गुड़ में गोली बनाकर दिन में तीन बार खिलाने से सभी प्रकार के पेट की कीड़े नष्ट होते हैं।

दूसर तरीकाः- सुबह उठते ही बड़े 25 ग्राम और बच्चे 10 ग्राम गुड़ खाकर दस-पंद्रह मिनट आराम करें। इससे आंतों में चिपके सब कीड़े एक जगह आकर जमा हो जाते हैं। पंद्रह मिनट के बाद बच्चे आधा ग्राम और बड़े दो या एक ग्राम अजवायन का चूर्ण बासी पानी के साथ खाएं। इस औषधि के सेवन से आंतो के साथ शीघ्र ही कीड़े बाहर निकल जाते हैं।

तीसरा तरीकाः- आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में चुटकी भर काला नमक मिलाकर रात के समय रोजाना गर्म जल से देने से बालकों के कृमि नष्ट होते हैं। बड़े व्यक्ति अजवायन के चूर्ण के चार भाग में काला नमक एक भाग मिलाकर दो ग्राम की मात्रा से गर्म पानी से साथ फांकें। उपरोक्त औषधि को तीन दिन से एक सप्ताह तक आवश्यकतानुसार लेना चाहिए। इससे पेट के कीड़े नष्ट होकर बच्चों को सोते समय दांत किटकिटाना और चबाना दूर होता है।

विषेशः- इस औषधि का सेवन करते समय मिठाई, गरिष्ठ पदार्थ, बासी भोजन,सडे-गले पदार्थो का सेवन बंद कर दें। बच्चों को टॉफी, चाकलेट और मीठी वस्तुओं से दूर रखें। जिन लोगों केा रात में बार-बार पेशाब करने की आदत होती है, उन्हें भी इस औषधि के सेवन से लाभ होता है। कृमि जन्य दोष दूर होने के साथ-साथ अजीर्ण, अफारा आदि रोग भी कुछ दिनों के औषधि सेवन से दूर हो जाते हैं।

1ः-बच्चों को गोल कृमि की शिकायत हो तो आधा चम्मच पान के रस में शक्कर मिलाकर देने से लाभ होता है।
2ः-जैतुन का तेल गुदा में नित्य सात-आठ बार लगाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
3ः-एंरड का तेल या उसके पत्तांे का रस बालक की गुदा में चार-पांच बार लगाने से कृमि में विशेष लाभ होता है।
4ः-नीम के पत्ते के एक चम्मच रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करने से आंत के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
5ः-चम्पा के फूलों का रस आधा चम्मच की मात्रा शहद मिलाकर चाटने से कृमि रोग में विशेष लाभ होता है।
6ः-प्याज के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर आधे चम्मच की मात्रा में नित्य चार बार पीने से आंत-कृमि नष्ट हो जाते हैं।
7ः-आंतों में सूत जैसे कृमि पड़ गए हों और मल के साथ भी दिखाई देते हों तो कच्चे आम की गुठली का चूर्ण 2-4 रत्ती की मात्रा में दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इसके नियमित सेवन से सूत जैसे कृमि मल के साथ बाहर निकल जाते हैं और व्यक्ति को निजात मिल जाती है।
8ः- आडू के पत्तों का 50 ग्राम रस लें और उसमें जरा सी हींग मिलाकर पिलाएं तथा आडू के पत्तों को पीसकर उदर पर लेप करें। इससे उदर कृमि नष्ट हो जाते हैं।
9ः-गोरखमुंड़ी के चूर्ण को एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से सभी प्रकार की आंत कृमि नष्ट हो जाती है।
10-लहसुन तथा गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर गोली बना लें। बच्चों को तीन ग्राम और बड़ों को 10 ग्राम की गोली सुबह खाली पेट तीन दिन खिलाने से उदर कृमि मर कर निकल जाती है
11ः- पलाश के बीजों का रस चावल के पानी से साथ पीने से कृमि नष्ट होते हैं। इस रस को मट्ठे के साथ भी सेवन किया जाता है।
12-अनार की छाल को दो गिलास पानी में उबालें और जब आधा गिलास पानी रह जाए तो उसे गुनगुना ही एक ग्राम तिल को तेल मिलाकर पी जाएं। इससे आंत कृमि नष्ट होते हैं।
13ः- टमाटरों का सूप बनाएं और उसमें वायविडगं का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पिंए। कुछ रोज पीने से आंत के कीड़े नष्ट होकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
14ः- अन्नास के 20 ग्राम रस में अजवायन, वायविडगं का चूर्ण दो-दो ग्राम मिलाकर सेवन करने से आंत कृमि समूल नष्ट हो जाते है।

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