अब गठिया रोग का इलाज है संभव, भारत में हुई नई औषधि की खोज

भारत में हुई एक नई खोज से गठिया यानी आर्थराइटिस की बीमारी का इलाज और इस रोग से जुड़े दर्द को कम किया जा सकता है। एक नई बायोकंपैटिबल थेराप्यूटिक नैनो-मिसेल औषधि वितरण प्रणाली को सूजन रोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) दवाओं के साथ मिलाकर प्रयोगशाला स्तर पर किए गए टेस्ट में रूमेटोइड गठिया (आर्थराइटिस) को ठीक करने की बेहतर क्षमता देखी गई है। यह बीमारी के स्थायी उपचार की तुलना में एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस बीमारी के पीड़ितों के लिए यह खुशखबरी है कि अब उन्हें जल्द ही इस नई थेरापी की सुविधा मिल सकती है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), मोहाली के वैज्ञानिकों ने फूड एंड ड्रग एडमिनिष्ट्रेशन (FDA) से स्वीकृत सूजन रोधी औषधि 9-एमिनोएक्रिडीन (9AA) और सामान्यत कॉफी या वाइन में पाए जाने वाले नेचुरल कंपाउंड कैफिक एसिड (सीए) की क्षमता का पता लगाया है। आमतौर पर कॉफी या वाइन में पाया जाता है और इस कंपाउंड में एंटी-आर्थराइटिक क्षमता होने की जानकारी दी जाती है।

वैज्ञानिक डॉ. रेहान खान के नेतृत्व में एक रिसर्च ग्रुप ने रिसर्च करनेवाल वरिष्ठ व्यक्ति अक्षय व्याहारे के साथ मिलकर एक उपचारी नैनो-मिसेल को विकसित किया है जो एक सूजन-रोधी औषधि (9AA) से भरा हुआ है। रोगी के शरीर में प्रविष्ट कराए जाने पर, यह NR4A1 (न्यूक्लियर रिसेप्टर सबफैमिली 4 ग्रुप ए मेंबर 1) जीन की सक्रियता के कारण शोथ बढाने वाले मध्यस्थोंके ऐसे स्थान को दर्शाता है, जो फ्लोरोसेंट 9 एमिनोएक्रिडीन द्वारा प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को रोककर सूजन बढ़ाने वाले तंत्र को नियंत्रित करते हैं।

नैनो मिसेल में ही स्वयं उपचारात्मक प्रभाव प्रदान करने की क्षमता है, लेकिन जब इसे सूजन रोधी दवा के साथ मिलाया जाता है, तो यह जोड़ों की क्षति और कार्टिलेज डैमेज को रोककर प्रयोगात्मक रूप से संधिशोथ को ठीक करने की बढ़ी हुई क्षमता दिखाती है. नई रणनीति जॉइंट्स की क्षति और कार्टिलेज गिरावट को रोकती है और बीमारी के पुन प्रकट होने से अल्पावधि में (21 दिन में) रोग उन्मूलन और 45 दिन की दीर्घकालिक सुरक्षा दिखाती है।

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