परमार्थ निकेतन, गंगा घाट पर होने वाली विश्व विख्यात गंगा आरती को वल्र्ड बुक आॅफ रिकाॅर्ड्स में सूचिबद्ध किया गया है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी द्वारा विधिवत रूप से वर्ष 1997 में शुरू की गई गंगा आरती 28 वर्षों से प्रतिदिन हो रही है। यह न केवल भारत बल्कि विश्व के मानचित्र पर एक उत्कृष्ट स्थान रखती है तथा विगत 28 वर्षों से हजारों-हजारों लोगों को मंत्रमुग्ध करती आ रही है। माँ गंगा जी की आरती राष्ट्रों, भाषाओं और संस्कृतियों की सीमाओं को पार करते हुये सीधे दिल में उतरती है और उस आनंद को स्वर्ग तक ले जाती है। आरती यह संदेश देती है कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि वह सचमुच एक माँ है और 2525 किलोमीटर का जीता-जागता मन्दिर है।
माँ गंगा, जीवनदायिनी माता के रूप में हिमालय से अपने जल में पवित्रता, स्वास्थ्य, आनंद और मुक्ति लेकर आती है और सदियों से शान्ति व समृद्धि प्रदान कर रही हैं। परमार्थ निकेतन में होने वाली गंगा आरती, गंगा जी की पूजा के साथ भावों को अर्पण करने का एक दैनिक अनुष्ठान है। इसमें मंत्रों का जाप, घंटियों की गूंज, दीपों की ऊर्जा, आस्थावानों की आस्था और भावनाशीलों के भावों का अद्भुत समन्यव है।
ऋषिकेश, उत्तराखंड में भक्तों, आस्थावानों, तीर्थाटन और पर्यटन करने वालों के लिये परमार्थ गंगा आरती आध्यात्मिक अनुभव और गंगा से जुड़ाव का एक अद्भुत माध्यम है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नदियां धरती की रूधिर वाहिकायें हैं, नदियों के जल में भारतीय संस्कृति का नाद गूंजता है। नदियां जीवन और जीविका का आधार है, शान्ति और सद्गति दोनों ही प्रदान करती हैं, इसलिये हमने गंगा आरती के माध्यम से जल के प्रति जागरण की शुरूआत की। गंगा आरती के माध्यम से जल क्रान्ति जन क्रान्ति बने, जन जागरण जन जागरण बने, जल आन्दोलन जन आन्दोलन बने इसकी शुरूआत न केवल गंगा जी के तट पर की बल्कि हम आरती को लाइव करते हैं ताकि ऋषिकेश आने वाले श्रद्धालुओं को तो आरती के दर्शन हो साथ ही विश्व के कोने-कोने में बैठे जो श्रद्धालु हैं उन्हें भी प्रतिदिन सांयकाल आरती के दिव्य दर्शन हो सके। प्रतिदिन सांयकाल अनेक देशों के लोग गंगा आरती से जुड़ते हैं और अपने हाथों में में आरती की थाली लेकर अपने घरों से ही आरती करते हैं। पूरे विश्व में गंगा जी के प्रति क्या अद्भुत समर्पण है इसलिये गंगा जी को संरक्षित रखना और भी महत्वपूर्ण है।
परमार्थ निकेतन गंगा तट पर 1997 में गंगा जी की आरती शुरू की थी, तब से कारवां बढ़ता गया और अब यह आरती विश्व में ख्याति प्राप्त है, विश्व विख्यात हो गयी है। फिर 1998 में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के नेतृत्व में नेपाल के पशुपतिनाथ मन्दिर के समक्ष बागमती नदी के किनारे एक विशाल गंगा आरती आयोजित की। 1999 में वाराणसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरसंघचालक श्री के एस सुदर्शन जी, महामहिम दलाई लामा जी, श्री अशोक सिंघल जी और कई प्रतिष्ठित विभूतियों, संगीतकारों, कलाकारों के साथ एक विशाल गंगा आरती कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जो अब अतुल्य भारत का हिस्सा बन गयी है। 2000 में गंगोत्री, 2001 में प्रयागराज में गंगा आरती शुरू की गई, 2002 में रुद्रप्रयाग में, उज्जैन में क्षिप्रा आरती, 2016, यमुना जी की आरती आगरा में, 2023 में देवराह बाबा घाट, वृन्दावन में यमुना जी की आरती, फिर दिल्ली में भी यमुना जी की आरती, मारीशस में, उसके बाद देवप्रयाग, उत्तरकाशी में और कई अन्य स्थानों पर आरती का क्रम शुरू किया जो आस्था के साथ जागरण का उत्कृष्ट केन्द्र बन कर उभर रहा है। चाहे तट गंगा हो या यमुना का, क्षिप्रा का हो या बागमती का हो, गोदावरी का हो या संगम का, नदियों का हो या सागर का तट हो या फिर दक्षिण भारत की कई नदियों के पर आरती का दिव्य क्रम शुरू किया है इसलिये तो स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को ’’आरती वाले स्वामी जी’’ के नाम से भी जाना जाता है।
स्वामी जी ने कहा कि जल की हर बूंद में जीवन है, इसलिये इसका उपयोग जीवन की तरह ही करें, नही तो हम न नेचर को बचा सकते हैं, न कल्चर को न ही फ्यूचर को इसलिये आईये संकल्प लें ‘‘जल बचाओ, कल बचाओ’’।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि प्रतिदिन सांयकाल होने वाली गंगा आरती हम सभी के लिये एक हैप्पी आॅवर है जो अद्भुत प्रसन्नता का एहसास करता है।
परमार्थ निकेतन गंगा आरती वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन (यूके) में सूचीबद्ध होने और अवार्ड मिलने पर, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती को केंद्रीय कार्य समिति के सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अन्य गणमान्य विभूतियों द्वारा बधाई दी।
वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अध्यक्ष और सीईओ श्री संतोष शुक्ला जी ने जानकारी प्रदान की है कि परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश, उत्तराखंड, भारत की गंगा आरती को वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा 30 मिनट की नॉनस्टॉप दैनिक मनमोहक आरती के रूप में सूचीबद्ध कर पुरस्कृत किया है। परमार्थ निकेतन, गंगा घाट, ऋषिकेश में विगत 28 वर्षों प्रतिदिन चलने वाला एक अद्भुत दैनिक पर्यावरण के प्रति जागरण का अनुष्ठान बन गया है और आज इसी की आवश्यकता भी है कि जल क्रान्ति जन क्रान्ति बने, जल अभियान जन अभियान बने, जल मिशन जीवन मिशन बने।
वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड् में लिस्टिंग का प्रमाण पत्र व अवार्ड स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, और साध्वी भगवती सरस्वती जी को श्री अभिषेक कौशिक और सुश्री प्रिया शर्मा, डब्ल्यूबीआर अधिकारियों द्वारा प्रदान किया।
ज्ञात हो कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण और नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिये आध्यात्मिक और आस्था के आधार पर नदियों के तटों पर आरती की एक अद्भुत शुरूआत की।