प्लास्टिक ने कभी इंसानों की जिंदगी को आसान बनाने का वादा किया था, लेकिन अब यही प्लास्टिक हमारी सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि रोज़मर्रा के पानी की बोतल, पैकेज्ड फूड और प्लास्टिक बैग में मौजूद सूक्ष्म कण, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है, धीरे-धीरे हमारे शरीर में जमा हो रहे हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहे हैं।
शोधों से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक अब लगभग हर इंसान के शरीर में मौजूद हैं। साल 2022 के अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसानों के खून में इन कणों की पुष्टि की। ये छोटे-छोटे कण खून, अंगों और हड्डियों तक पहुंचकर सूजन, कोशिकाओं को नुकसान और गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
रोजाना औसतन हर इंसान लगभग 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक निगल रहा है। यह कण न केवल खाने और पानी के जरिए शरीर में प्रवेश कर रहे हैं, बल्कि हवा और यहां तक कि नमक में भी मौजूद हैं।
हड्डियों पर असर:
ब्राजील के वैज्ञानिकों की समीक्षा में पता चला कि माइक्रोप्लास्टिक हड्डियों की मज्जा में मौजूद स्टेम सेल्स की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। इससे हड्डियों का क्षय तेज होता है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं बढ़ती हैं। इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन की चेतावनी है कि 2050 तक हड्डियों के टूटने की घटनाएं 32 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं।
फेफड़ों और कैंसर का खतरा:
हवा में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक कण फेफड़ों तक पहुंचकर सूजन, एलर्जी, अस्थमा और लंबे समय में फेफड़ों की क्षमता घटाने का काम कर सकते हैं। कुछ शोधों में इन कणों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी जोड़ा गया है।
बच्चों के लिए खतरा:
विशेषज्ञों का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक बच्चों के लिए भी खतरा हैं। प्लास्टिक की बोतलों और पैकेज्ड फूड के लगातार इस्तेमाल से शरीर में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ती है और शिशुओं में क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
निष्कर्ष:
विज्ञानियों का मानना है कि अगर समय रहते प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भविष्य में लाखों लोग हड्डियों, फेफड़ों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करेंगे।