रसोई की सबसे आम और पसंदीदा सब्जियों में शामिल फूलगोभी इन दिनों चर्चा में है। वजह है—इसमें बार-बार कीड़े और लार्वा मिलने की शिकायतें। शहर और कस्बों के बाजारों में बेची जा रही गोभियों में जीवित कीड़े निकलने की घटनाएँ सामने आने के बाद लोगों में चिंता का माहौल है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे जन स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला बताया है, जबकि उपभोक्ता विभाग ने विक्रेताओं को चेतावनी जारी की है।
संक्रमण का बड़ा खतरा — विशेषज्ञों की राय
न्यू देवभूमि हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ सुशील शर्मा ने बताया कि गोभी में पनपने वाले कीड़े और उनके अंडे शरीर में पहुँचने पर आंतों के संक्रमण, फूड पॉइजनिंग, पेट दर्द, उल्टी और दस्त जैसी बीमारियाँ फैला सकते हैं।
उन्होंने कहा, “कई बार लोग सब्जी को पर्याप्त रूप से नहीं धोते या अधपका खाते हैं, जिससे बैक्टीरिया शरीर में पहुँचकर संक्रमण फैला देते हैं। बच्चों और बुजुर्गों में यह और अधिक खतरनाक हो सकता है।”
कृषि विशेषज्ञ डॉ आरएस सेंगर का कहना है कि हाल के दिनों में अत्यधिक नमी और कीटनाशकों के अनुचित उपयोग के कारण गोभी की फसल में कैबेज वॉर्म, एफिड्स और लार्वा कीट तेजी से फैल रहे हैं। यह कीट न केवल पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि सब्जी को असुरक्षित भी बना देते हैं।
कैसे पहचानें दूषित गोभी
गोभी के फूलों में छोटे छेद या काले धब्बे दिखाई दें तो सावधान रहें।
सफाई करते समय रेंगने वाले छोटे कीड़े मिलें तो सब्ज़ी तुरंत त्याग दें।
बदबू या सड़न जैसी गंध आने पर गोभी को पकाने से बचें।
स्वास्थ्य विभाग ने दिए सुझाव
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि—
- गोभी को पकाने से पहले नमक या सिरके वाले पानी में 20 मिनट तक भिगोएँ।
- उबलते पानी में 2-3 मिनट डुबोने से कीट व अंडे नष्ट हो जाते हैं।
- सब्ज़ी हमेशा विश्वसनीय विक्रेताओं या साफ-सुथरी मंडियों से ही खरीदें।
उपभोक्ता विभाग की कार्रवाई
बाजार में इस तरह की रोकथाम के लिए उपभोक्ता संरक्षण विभाग कार्य करता है। सब्ज़ी मंडियों और थोक बाजारों में सैंपल जांच अभियान शुरू किया जाता है। “अगर किसी उपभोक्ता को दूषित या कीटयुक्त गोभी मिलती है, तो वह निकटतम खाद्य सुरक्षा अधिकारी या हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज करवा सकता है। दोषी विक्रेताओं पर जुर्माना और लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।”
विदित हो कि
फूलगोभी में कीड़े निकलना कोई मामूली बात नहीं। यह खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ा गंभीर विषय है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उपभोक्ता सतर्क रहें और प्रशासन सक्रिय हो जाए, तो ऐसे मामलों को आसानी से रोका जा सकता है।