पुलिस और प्रशासन की धमकी से त्रस्त महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने CM को लिखा खून से पत्र, पैदल मार्च का किया ऐलान


गुरूवार को धर्म संसद की अनुमति न मिलने पर यति नरसिंहनंद गिरी ने अब 21 दिसंबर को पैदल मार्च निकालने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। वह सुप्रीम कोर्ट के सामने भी अपनी बात रखेंगे। उन्होंने मोहम्मद, कुरान और राजनीति के बारे में जो कुछ भी कहा है वह उनके धार्मिक ग्रंथों में लिखा है, यदि कुछ गलत बोला हो तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दें। लेकिन इसमें भी हीट स्पीच नजर आ रही है। कहा कि पुलिस वाले उनकी हत्या करा सकते हैं लेकिन वह डरते नहीं है। क्या मैं बांग्लादेश और पाकिस्तान में मरने वाले हिंदुओं के लए रो भी नहीं सकता। उन्होंने कहा कि धर्म संसद में केवल धार्मिक मुद्दों पर चर्चा होनी थी, लेकिन इसमें भी पुलिस प्रशासन को नाराजगी है।

सीएम को लिखा अपने खून से पत्र
मां बगलामुखी महायज्ञ स्थल भैरव घाट, श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े से शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की धमकी से त्रस्त होकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी को रक्त से पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि जिस धर्म संसद को पुलिस प्रशासन रोक रहा है वहां केवल धार्मिक मुद्दों पर चर्चा होनी थी। अब उन्होंने 21 दिसंबर को हरिद्वार से दिल्ली सुप्रीम कोर्ट तक पैदल मार्च निकालने की बात कही है।

मंदिर के अंदर होना था कार्यक्रम
खून से लिखे पत्र में उन्होंने लिखा वो और उनके कुछ साथी बांग्लादेश, पाकिस्तान सहित भारत में हिंदुओं के चल रहे नृशंस नरसंहार से व्यथित होकर उनकी पीड़ा को दुनिया भर तक पहुंचाने के लिए माया देवी मंदिर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े में 19,20 और 21 दिसंबर 2024 को विश्व धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं। हमारा यह आयोजन किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं बल्कि हमारे अखाड़े के मुख्यालय पर हो रहा है। यह कोई भीड़ एकत्रित करके शक्ति प्रदर्शन करने का कोई राजनैतिक कार्यक्रम नहीं है बल्कि सीमित संख्या में संतों और प्रबुद्ध नागरिकों का एक छोटा सा सम्मेलन है। मंदिर के अंदर होने वाले ऐसे किसी कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं है। परन्तु हरिद्वार के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी शायद हम हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक मानते हैं और हम पर इसके लिए अनुमति मांगने का दबाव बना रहे हैं।

हम पर क्यों बनाया जा रहा दबाव
उन्होंने आगे लिखा कि वो बहुत विनम्रता के साथ मुख्यमंत्री जी से जानना चाहते हैं कि क्या मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे में ऐसे किसी आयोजन के लिए कभी कोई अनुमति मांगी गई या कभी प्रदान की गई है? फिर हम पर ही क्यों ये दबाव बनाया जा रहा है। क्या सरकार और सरकारी अधिकारियों की नजर में हिंदुओं के मंदिरों की हैसियत मस्जिदों,चर्चों या गुरुद्वारों से कम है? क्या अब हिंदुओ को अपने धर्म बंधुओं की नृशंस हत्याओं पर रोने के लिए भी सरकार की अनुमति की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि यह बहुत जरूरी है तो उन्हें बांग्लादेश पाकिस्तान सहित भारत में अपने धर्म बंधुओं के नृशंस नरसंहार पर विलाप करने के लिए 19,20 और 21 दिसंबर 2024 को माया देवी मंदिर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े में विश्व धर्म संसद आयोजित करने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें।

उन्होंने यह भी लिखा कि इस पत्र की कॉपी वो हरिद्वार जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व सिटी मजिस्ट्रेट को भी अपने शिष्यों के हाथ भिजवा रहे हैं। महायज्ञ स्थल पर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज महाराज के साथ विश्व धर्म संसद की मुख्य संयोजक डॉ उदिता त्यागी, स्वामी महाकाल गिरी, पंडित अधीर कौशिक, आचार्य पवन कृष्ण शास्त्री, सहदेव भगत जी के साथ साधु संत भी उपस्थित थे।

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