आज दिनांक 7 अप्रैल रविवार को शुभारंभ बैंक्वेट हॉल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संपर्क विभाग द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय भारत तिब्बत के बीच भू सांस्कृतिक सम्बंध रहा।
गोष्ठी की अध्यक्षता ब्रिगेडियर टी सी मेहरोत्रा (सेवा निवृत्त), वर्तमान में मुख्य महाप्रबंधक पतंजलि योगपीठ, ने की। गोष्ठी को श्रीमान सुशील जी, क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, एवं श्रीमति निधि बहुगुणा, केंद्रीय टोली सदस्य, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र ने संबोधित किया।
कार्यक्रम का संयोजन डॉक्टर अचल कुमार गोयल, श्रेणी प्रमुख प्रबुद्ध नागरिक, संपर्क विभाग,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरिद्वार ने किया।
कार्यक्रम में अनेक संतों की गरिमामई उपस्थिति भी रही। अमेरिका से आए गुरु दिलीप जी महाराज, सचिव संयुक्त राष्ट्र धार्मिक संगठन, विश्व योग समिति के वैश्विक चेयरमैन, योगी आशुतोष जी, आदि शंकराचार्य वैदिक फाउंडेशन के संस्थापक, जेल सुधारक एवं वक्ता।
इनके अतिरिक्त रवि देव शास्त्री जी, पूज्य महंत गरीब दासीय आश्रम, तन्मय वशिष्ठ जी, महामंत्री गंगा सभा हरिद्वार, संजय महंत जी, चेतन ज्योति आश्रम, शिवम महंत, अध्यक्ष युवा भारत साधु समाज भी उपस्थित रहे।
तिब्बत के एक निवासी श्री ज्ञाल्पो, देहरादून में तिब्बत प्रशासन के अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे
श्रीमान सुशील जी ने बताया कि भारत और चीन कभी भी पड़ोसी नहीं रहे। पहले भारत और तिब्बत की सीमाएं मिलती थीं, इसीलिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) आज भी है। कैलाश मानसरोवर आदिकाल से भारतीयों का एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा है, यात्राएं चलती रही हैं। चीन विस्तारवादी है, इसलिए अरुणाचल के भी अनेक स्थानों का नाम बदल रहा है।
निधि बहुगुणा जी ने बताया कि कैलाश मानसरोवर के पास मिनसर नामक एक स्थान लगभग 400 वर्षों से पहले लद्दाख और फिर भारत को 1962 तक अपना कर देते रहे। इसलिए समाज को जागृत होकर चीन के विस्तार को रोकने के लिए, भारत की महत्त्वपूर्ण नदियों को सतत बहाव बनाए रखने के लिए इस पर चिंतन की आवश्यकता है।
ब्रिगेडियर टी सी मेहरोत्रा (सेवा निवृत्त) ने बताया कि चीन अपनी रणनीतिक एवं औद्योगिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए अपनी सीमाएं बढ़ाने में लगा हुआ है। वर्तमान सरकार द्वारा सेनाओं को सशक्त बनाकर, छूट देकर, एक नया वातावरण बनाने का कार्य किया गया है।