गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। संगोष्ठी में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जुड़े 22 राज्यों के 390 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी में 2025 में होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से अधिक से अधिक संख्या में छात्र-छात्राओं तक पहुंचने के लिए संकल्पित हुए।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डा.प्रणव पण्ड्या प्रतिभागियों से वर्चुअल जुड़े और मार्गदर्शन किया। डा.पण्ड्या ने कहा कि यदि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच सही सामंजस्य और समझ स्थापित हो जाये, तो शिक्षक अपने विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा देने में बल्कि उनके चरित्र और जीवन को सही दिशा देने में भी सक्षम हो सकते हैं। विद्यार्थी जीवन वह महत्वपूर्ण समय होता है। जब युवा अपने व्यक्तित्व और जीवन के उद्देश्य की नींव रखते हैं। इस दौरान उन्हें अगर सही मार्गदर्शन, सकारात्मक सोच और जीवन के सही मूल्य मिलते हैं, तो वह अपने जीवन में सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं और समाज के लिए एक आदर्श बन सकते हैं।
व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी ने प्रतिभागी शिक्षक, जिला व प्रांतीय समन्वयकों को संस्कृति को बचाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया। भासंज्ञाप के समन्वयक रामयश तिवारी ने कहा कि भासंज्ञाप युवाओं को संस्कृति निष्ठ बनाने का उत्तम आधार है। इस अवसर पर जिला एवं प्रांतीय समन्वयकों सहित अनेक लोगों ने क्षेत्र में भासंज्ञाप के विस्तार हेतु विविध उपायों को साझा किया।
शिविर समन्वयक ने बताया कि वर्ष 2024 की अपेक्षाकृत साल 2025 में 1 लाख 51 हजार स्कूलों तक पहुँचने के लिए कार्य योजना बनाई गयी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राजस्थान के राजसमन्द जिला को सर्वाधिक विद्यार्थियों तक भासंज्ञाप को पहुंचाने के लिए विशेष पुरस्कार से नवाजा गया। तो वहीं सूरत (गुजरात), बाँसवाड़ा, उदयपुर (राजस्थान), लखनऊ (उप्र), अहमदाबाद, साबरकांठा (गुजरात), झालवाड़ ( राजस्थान), गाजियाबाद, कानपुर नगर (उप्र) को भी स्मृति चिह्न आदि भेंटकर पुरस्कृत किया गया।