हरिद्वार। वैदिक शिक्षा, पर्यावरण और जैविक खेती ही जीवन के आधार हैं। बिना इनके भारत के विश्वगुरु बनने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उक्त उद्गार आर्य विद्वान रामपाल वैदिक ने यज्ञ अनुष्ठान के अवसर पर कहे।
रामपाल वैदिक ने कहाकि जब तक गुरुकुल के माध्यम से आधुनिक शिक्षा के साथ वैदिक शिक्षा सभी को नहीं दी जाती तब तक हम उस ज्ञान का प्राप्त नहीं कर सकते जो उन्नति का आधार है। उन्होंने कहा कि प्राचीन ज्ञान यानी वेदों में छिपे रहस्यों को जानकर और उन पर अमल कर ही भारत विश्वगुरु पुनः बन सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहाकि जैसा व्यक्ति अन्न खाता है, उसका मन भी वैसा हो जाता है।
कहाकि आज रसायन युक्त खेती से व्यक्ति का स्वास्थ्य पतन की ओर जा रहा है। हर कोई बीमार है। यदि हमें स्वस्थ भारत बनाना है तो जैविक खेती की ओर लौटना होगा। रामपाल वैदिक ने कहाकि पर्यावरण जीवन का आधार है। यदि पर्यावरण असंतुलित हुआ तो जीवन असंतुलित हो जाएगा। इस कारण से सभी को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हुए अधिक से अधिक पौधों का रोपण करना चाहिए। उन्होंने कहाकि आने वाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए वैदिक गुरुकुल, जैविक खेती तथा पर्यावरण के महत्व को समझते हुए इसको आत्मसात करना होगा।