क्या है देहरादून का झंडे जी मेले का इतिहास ?,लाखों श्रद्धालु हुए इकठ्ठे

देहरादून में हर साल मनाया जाने वाला कार्यक्रम श्री झंडेजी मेले में श्रद्धालुओं की बेहद ख़ास विशवास पूर्ण आस्था है। यही वजह है कि हर देश-विदेश से संगत यहां आती है और देवेंद्र दास महाराज ने संगतों को बताया कि श्री झंडेजी मेले का इतिहास देहरादून के अस्तित्व से ताल्लुक रखता है। श्री गुरु राम राय महाराज का दून में आगमन 1676 में यहां हुआ और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से मुग्ध होकर ऊंची-नीची पहाड़ियों पर जो डेरा डाला उसी जगह का नाम डेरादीन से डेरादून और फिर देहरादून कर दिया गया।
उन्होंने इस धरती को अपनी कर्मस्थली की तरह तैयार किया था और उन्होंने श्री दरबार साहिब में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा देहरादून के मध्य स्थान में लगाकर लोगों को इसी ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने की आस्था से जोड़ा और कहा। तभी से श्री झंडा साहिब के दर्शन की परंपरा की शुरुआत हुई थी। मेलों में देश-विदेश के लोग एकजुट होकर अपनी कला, संस्कृति व संस्कारों का आदान प्रदान करते हैं।

श्री गुरु राम राय महाराज को देहरादून का संस्थापक कहा जाता है। गुरु राम राय महाराज सिखों के सातवें गुरु गुरु हर राय के ज्येष्ठ पुत्र थे। 

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