विश्व विख्यात आध्यात्मिक सूफी गायक पद्मश्री कैलाश खेर जी ने कहा कि आज का पावन दिन है इसलिये हैं क्योंकि यह एक धर्म है, जिसका निर्वहन हमारे पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन में पूरा परमार्थ परिवार कर रहा है। यह युगों-युगों तक ऐसे ही चलेगा जिसका नाम है अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव। युगों-युगों से हमारे यहां परम्पराओं का निर्वहन होता आया है, और देवलोक में देवता भी देख देख कर आनन्दित होते हैं।
उन्होंने कहा ‘‘मेरा मन चंचल दिन रात भटकता, मन कभी कहे तु छोड़ गृहस्थी बन जा ना तप धारी, मन कभी कहे कि राष्ट्रपति की होेती पोस्ट हमारी, मन कभी कहे कि मिल जाये दुनिया की दौलत सारी, ये जो मन है, मन के हारे हार है मन के जीते जीत है।

माँ गंगा पवित्रता की प्रतिमूर्ति है उस पवित्रता को धारण करने के लिये हमें मस्तिष्क से थोड़ा हटना होगा। यदि हम अपने भीतर के परमात्मा को जीवित रखेंगे तो गंगा अनवरत हमारे साथ है और हमारे साथ रहेगी, हमारे जीवन भर के लिये हमारे भीतर ही बह रही है। उन्होंने कहा कि उदास कभी रहना नहीं, जब तक जीओ खुल के जीओ।
उन्होंने अपने मंत्रमूग्ध कर देने वाले स्वर में आदियोगी ‘‘भष्म वाली रस्म कर दो आदियोगी’’
‘‘आत्मा ने परमात्मा को लिया देख ज्ञान की दृष्टि से, प्रकाश हुआ हृदय-हृदय, बेड़ा पार हुआ इस सृष्टि से एक ओमकार निरंजन निरंकार है अजर अमर’’
मंत्रमुग्ध संगीत पर हुये योगी मग्न और शिवमय हुआ पूरा वातावरण।