बंद घर के अंदर पहले कहासुनी और फिर गोली मारकर तीन जिंदगियां हमेशा के लिए शांत हो गईं, लेकिन हत्या और आत्महत्या का सही कारण भी बंद घर में ही दफन होकर गया है। तीनों में से अगर किसी की जिंदगी बची होती तो तस्वीर साफ हो जाती। इतने बड़े आत्मघाती कदम उठाने के पीछे आखिर क्या वजह रही होगी। पुलिस प्रथम दृष्टया गृह क्लेश के साथ ही संपत्ति विवाद को भी जोड़कर देखा जाने लगा है। परिजनों से भी बातचीत की गई, लेकिन कोई ठोस वजह सामने नहीं पाई है।
पुलिस के अनुसार, करीब 30 साल पहले भेल कर्मी जगदीश चंद्र दीपक की बेटी सुनीता से आर्यनगर ज्वालापुर निवासी राजीव अरोड़ा ने प्रेम विवाह कर दिल्ली में बसकर नौकरी की शुरुआत की थी। मां शकुंतला दीपक को बीएचईएल में नौकरी मिली थी। 78 वर्षीय शकुंतला को दिल की बीमारी के साथ ही अन्य रोग भी ग्रस्त थे। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। एक साल से बेटी और दामाद के साथ ही दिल्ली में रह रही थी। इससे पहले अपने टिहरी विस्थापित वाले मकान में ही रहती थी, जबकि कुछ समय देहरादून में अपने भाई के यहां भी रहीं। रविवार को इलाज के लिए शकुंतला अपनी बेटी सुनीता के साथ देहरादून में दंत के उपचार के लिए आईं फिर हरिद्वार आ गई थीं। शाम करीब साढ़े चार से पांच बजे के बीच घर के अंदर दरवाजा बंद कर लिया। जहां फिर से विवाद हुआ और तीनों जिंदगियां एक साथ खत्म हो गईं।